🌿 हरियाली तीज 2025: व्रत कथा, पूजा विधि और महिलाओं के लिए इसका विशेष महत्व
🌸 प्रस्तावना
सावन की ठंडी-ठंडी फुहारें, पेड़ों की हरियाली, और झूलों की मिठास लेकर आता है एक खास पर्व — हरियाली तीज। यह त्योहार खासतौर पर महिलाओं का पर्व है, जो पति की लंबी उम्र, सुखमय दांपत्य जीवन और सौभाग्य की कामना के साथ मनाया जाता है।
हरियाली तीज सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि संस्कार, प्रेम, श्रृंगार और आस्था का मिलाजुला रूप है। आइए इस लेख में आसान बोलचाल की भाषा में जानते हैं हरियाली तीज 2025 की तारीख, महत्व, पूजा विधि, और परंपराएं।
📅 हरियाली तीज 2025 में कब है?
वर्ष 2025 में हरियाली तीज का पर्व गुरुवार, 17 जुलाई को मनाया जाएगा।
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तिथि: श्रावण शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि
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दिन: गुरुवार
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विशेष योग: शुभ चौघड़िया में पूजा विशेष फलदायी
🌺 हरियाली तीज का क्या महत्व है?
हरियाली तीज का महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी बहुत गहरा है।
🔸 1. देवी पार्वती और शिव का मिलन
हरियाली तीज को शिव-पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक माना जाता है। इस दिन माता पार्वती ने कठोर तप के बाद भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। इसलिए महिलाएं यह व्रत रखती हैं ताकि उनका वैवाहिक जीवन भी पार्वती माँ की तरह सुखमय हो।
🔸 2. सौभाग्य और सुहाग का प्रतीक
यह पर्व सुहागिनों का त्योहार है। वे श्रृंगार करके, झूला झूलती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं। इसका उद्देश्य होता है — पति के लिए मंगलकामना।
🔸 3. हरियाली और प्रकृति से जुड़ाव
सावन का महीना हरियाली से भरा होता है। इसी वजह से इस तीज को हरियाली तीज कहते हैं। महिलाएं पेड़ों पर झूले डालती हैं, गीत गाती हैं और मौसमी मेहंदी रचाती हैं।
🌿 हरियाली तीज व्रत कथा (Hariyali Teej Vrat Katha in Hindi)
बहुत प्राचीन समय की बात है। माता सती, जो भगवान शिव की पत्नी थीं, ने एक बार अपने पिता राजा दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में हिस्सा लिया। लेकिन उस यज्ञ में शिवजी का अपमान हुआ, जिससे आहत होकर सती ने वहीं अपने प्राण त्याग दिए।
शिवजी इस घटना से अत्यंत दुखी हुए और समाधि में लीन हो गए। सृष्टि का संतुलन बिगड़ने लगा। सभी देवताओं ने चिंतित होकर विष्णु जी से प्रार्थना की कि वे शिवजी को पुनः गृहीस्थ जीवन में लाएं।
सती ने अगले जन्म में पार्वती के रूप में राजा हिमालय के घर जन्म लिया। पार्वती जी बचपन से ही भगवान शिव को अपने पति रूप में पाने की इच्छा रखती थीं। जब वे बड़ी हुईं, तो उन्होंने कठोर तपस्या करनी शुरू कर दी।
पार्वती जी ने वर्षों तक घने जंगलों में तप किया। गर्मी, सर्दी, बारिश — किसी भी मौसम का असर उनके संकल्प पर नहीं पड़ा। उन्होंने अन्न-जल त्याग दिया और केवल सूखी पत्तियां खाकर तप करती रहीं।
इधर, शिवजी अभी भी समाधि में लीन थे। नारद मुनि पार्वती जी के पास पहुंचे और बोले,
“हे देवी, आपकी तपस्या सफल होगी। शिवजी आपको अवश्य वर रूप में स्वीकार करेंगे।”
कुछ समय बाद भगवान शिव ने पार्वती जी की तपस्या और भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए और वर मांगने को कहा।
पार्वती जी ने हाथ जोड़कर कहा,
“स्वामी, मैं केवल आपको ही अपने पति रूप में पाना चाहती हूं।”
शिवजी मुस्कुराए और बोले,
“हे देवी, तुम्हारा प्रेम और तप दोनों ही महान हैं। मैं तुम्हें पत्नी रूप में स्वीकार करता हूं।”
फिर श्रावण शुक्ल पक्ष की तीज तिथि को माता पार्वती और भगवान शिव का पुनर्मिलन और विवाह संपन्न हुआ। उसी दिन से यह पर्व हरियाली तीज के रूप में मनाया जाने लगा।
✨ विशेष मान्यता:
कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने, कथा सुनने और पूजा करने से माता पार्वती का आशीर्वाद मिलता है और वैवाहिक जीवन में सुख, प्रेम और समर्पण बना रहता है।
कुंवारी कन्याएं भी यह व्रत रखती हैं ताकि उन्हें मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त हो।
📿 व्रत कथा पाठ विधि:
कथा सुनने से पहले दीपक जलाएं।
माता पार्वती और शिवजी की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
सुहाग की चीज़ें जैसे बिंदी, चूड़ी, मेहंदी, सिंदूर आदि चढ़ाएं।
नीचे दी गई कथा को श्रद्धा से पढ़ें या किसी से सुनें।
🕯️ पूजा विधि (Puja Vidhi)
📌 हरियाली तीज व्रत ऐसे करें:
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स्नान कर साफ वस्त्र पहनें, खासकर हरी साड़ी या हरे कपड़े।
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पूजा स्थल पर देवी पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
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उन्हें सुहाग की सामग्री अर्पित करें – चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, मेहंदी, चुनरी आदि।
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फल, मिठाई और पान का भोग लगाएं।
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हरियाली तीज व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
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व्रती स्त्रियां दिनभर उपवास रखती हैं – निर्जला व्रत सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
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रात को चंद्रमा दिखने के बाद व्रत का पारण करें।
🕯️ हरियाली तीज व्रत कथा पाठ के अंत में प्रार्थना:
"हे माता पार्वती! जैसे आपने कठिन तप करके शिवजी को पाया, वैसे ही हम सबको भी सच्चा प्रेम, समर्पण और सौभाग्य प्राप्त हो। हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे। यह तीज व्रत सफल हो, यही हमारी प्रार्थना है।"
🎡 त्योहार की परंपराएं और खासतौर पर की जाने वाली चीजें
🌿 1. झूला झूलना
गांव-शहरों में हरियाली तीज के दिन पेड़ों पर झूले लगाए जाते हैं। महिलाएं गीत गाते हुए झूला झूलती हैं।
💅 2. मेंहदी लगाना
महिलाएं हाथों-पैरों में मेंहदी रचाती हैं। मान्यता है कि मेंहदी का रंग जितना गहरा होता है, पति का प्रेम उतना ही अधिक होता है।
💄 3. सोलह श्रृंगार
सुहागिनें 16 प्रकार के श्रृंगार करती हैं – जैसे बिंदी, सिंदूर, चूड़ी, बिछुआ, मंगलसूत्र आदि। यह शुभता और सौभाग्य का प्रतीक है।
🎶 4. लोक गीत और नृत्य
हरियाली तीज के दिन महिलाएं पारंपरिक लोकगीत गाती हैं जैसे:
“काहे को ब्याही बिदेस सजनवा...”
ये गीत न सिर्फ मनोरंजन के लिए होते हैं, बल्कि महिलाओं के सामाजिक जुड़ाव का जरिया भी बनते हैं।
🍬 तीज का प्रसाद
हरियाली तीज पर कुछ विशेष मिठाइयाँ और व्यंजन बनाए जाते हैं:
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घेवर
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पूड़ी और कद्दू की सब्ज़ी
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सूजी का हलवा
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गुड़ और तिल के लड्डू
📷 आधुनिक युग में हरियाली तीज
आजकल हरियाली तीज को सामाजिक मंचों पर भी मनाया जाता है:
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स्कूलों, कॉलोनियों और क्लबों में तीज फेस्टिवल
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तीज क्वीन प्रतियोगिताएं
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महिला संगीत और डांस इवेंट
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मेंहदी और श्रृंगार प्रतियोगिता
🧘 हरियाली तीज और मानसिक स्वास्थ्य
हरियाली तीज का पर्व स्त्रियों को मानसिक रूप से भी सकारात्मक ऊर्जा देता है। यह दिन महिलाओं को:
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खुद से जुड़ने
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सौंदर्य और आत्म-सम्मान बढ़ाने
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आपसी मेलजोल और भाईचारे को बढ़ावा देने का अवसर देता है।
🧾 निष्कर्ष
हरियाली तीज नारी सशक्तिकरण, पारिवारिक प्रेम और भारतीय संस्कृति की सुंदर झलक है। यह पर्व हमें सिखाता है कि कैसे प्रेम, समर्पण और आस्था से जीवन को सुंदर बनाया जा सकता है।
2025 में जब 17 जुलाई को यह पर्व आए, तो आप भी पूरे उत्साह और भक्ति से इसे मनाएं। श्रृंगार करें, व्रत रखें, माता पार्वती की पूजा करें और जीवन में सुख-शांति की कामना करें।
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